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श्रीखंड महादेव भगवान शिव के निवासों में से एक है और इसे हिंदुओं के लिए एक तीर्थ स्थान माना जाता है।. इसे भारत के सबसे कठिन ट्रेक में से एक माना जाता है।. [१] पर्वत के शीर्ष पर स्थित 1५ फीट शिवलिंगम ५२२ मीटर की ऊंचाई पर है।.
शनि शिंगनापुर [2] या शिंगनापुर [3] भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक गाँव है।. अहमदनगर जिले के नेवसा तालुका में स्थित, यह गाँव शनि के लोकप्रिय मंदिर के लिए जाना जाता है, जो ग्रह (ग्रेहा) शनि से जुड़ा हिंदू देवता है।. शिंगनापुर अहमदनगर शहर से 35 किमी दूर है।. शिंगनापुर इस तथ्य के लिए भी प्रसिद्ध है कि गांव के किसी भी घर में दरवाजे नहीं हैं, केवल दरवाजे के फ्रेम हैं।. इसके बावजूद, आधिकारिक तौर पर गांव में कोई चोरी की सूचना नहीं थी [4] हालांकि 2010 और 2011 में चोरी की खबरें थीं।.[5]। माना जाता है कि मंदिर एक "जगरुत देवस्थान" है।. "जीवित मंदिर"), जिसका अर्थ है कि एक देवता अभी भी मंदिर के आइकन में रहता है।. ग्रामीणों का मानना है कि भगवान शनि चोरी का प्रयास करने वाले किसी को भी दंडित करते हैं।.[४] यहाँ देवता "स्वेम्बु" (संस्कृत: स्व-विकसित देवता) है जो स्वयं काले, पत्थर लगाने के रूप में पृथ्वी से उभरा है।. हालांकि किसी को भी सटीक अवधि का पता नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि स्वेमभु शनिश्वारा प्रतिमा तत्कालीन स्थानीय हैमलेट के चरवाहों द्वारा पाई गई थी।. ...
श्री सांवलिया जी की प्रतिमाओं का प्रकटीकरण :- सन 1840 में तत्कालीन मेवाड राज्य के समय उदयपुर से चित्तोड़ जाने के लिए बनने वाली कच्ची सड़क के निर्माण में बागुन्ड गाँव में बाधा बन रहे बबूल के बृक्ष को काटकर खोदने पर वहा से भगवान् कृष्ण की सांवलिया स्वरुप तीन प्रतिमाएं निकली। किवंदती के अनुसार ये मुर्तिया नागा साधुओं द्वारा अभिमंत्रित थी जिनको आक्रमणकारियों के डर से यहाँ जमीन में छिपा दिया गया। कालान्तर में वहा बबूल का एक वृक्ष बना। वृक्ष की जड़ निकालते समय वहां भूगर्भ में छिपे श्री सांवलियाजी की सुंदर एवम मनमोहक तीन प्रतिमाएं एक साथ देखकर मजदूर व स्थानीय व्यक्ति बड़े आनंदित हुए। भादसोड़ा में सुथार जाति के अत्यंत ही प्रसिद्ध गृहस्थ संत पुराजी भगत रहते थे। उनके निर्देशन में इन मूर्तियों की सार संभाल की गयी तथा उन्हें सुरक्षित रखा गया। एक मूर्ति भादसोड़ा गाँव ले जाई गयी जहाँ भींडर ठिकाने की और से भगतजी के निर्देशन में सांवलिया जी का मंदिर बनवाया गया। दूसरी मूर्ति मण्डफिया गाँव ले जाई गयी वहा भी सांवलियाजी मंदिर बना कालांतर में जिसकी ख्याति भी दूर-दूर तक फेली। आज...
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